देश में एक तरफ जहां 250 करोड़ रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश की जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के भविष्य के साथ क्या खूब मजाक किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 26 वर्षों से लाहौल-स्पीति पैटर्न के तहत बच्चों को मात्र आठ रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जा रही है। सबसे हैरानी वाली बात ये है कि छात्रवृत्ति भी वर्षभर की नहीं, बल्कि दस माह की ही दी जा रही है।
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गैरतलब है कि यहां वर्ष 1994 से पूर्व महज दो रुपये छात्रवृत्ति मिलती थी। जिसके बाद इसमें बढ़ोत्तरी करते हुए 1994 के बाद इसे छह रुपये प्रतिमाह बढ़ा दिया, लेकिन छात्रवृत्ति केवल दस माह के लिए ही कर दी गई। बताया जा रहा है कि लाहौल-स्पीति पैटर्न पर मिलने वाली छात्रवृत्ति बढ़ाने के लिए सरकार से कई बार लोगों ने पत्राचार किया गया, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इसका कोई जवाब नहीं आया है।
आपको बता दें कि हिमाचल सरकार लाहौल-स्पीति पैटर्न छात्रवृत्ति योजना में मात्र औपचारिकताएं ही पूरी कर रही है। इतना ही नहीं जिले के लोगों ने वर्तमान सरकार से सिफारिश भी की है। सिफारिश में इन लोगों ने छात्रवृत्ति को बढ़ाने या फिर इस पैटर्न के तहत छात्रवृत्ति के नाम पर हो रहा भद्दा मजाक बंद करने की बात की गया है।
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उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में लाहौल में 114 और स्पीति में 69 प्राथमिक पाठशालाएं हैं। जहां तकरीबन 1500 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त अध्यापक प्रेम चंद और शाम सिंह ने कहा कि वे जब विद्यार्थी थे, उन दिनों उन्हें महज दो रुपये ही छात्रवृत्ति मिलती थी।
जबकि अध्यापकों का भी वेतन कुछ रुपये ही था। वहीं मौजूदा समय में प्राथमिक शिक्षकों का वेतन 35 से 40 हजार रुपये प्रतिमाह है, लेकिन छात्रवृत्ति में 1994 के बाद छह रुपये की ही बढ़ोतरी हुई। शिक्षा उप निदेशक का कार्यभार देख रहे केलांग पाठशाला के प्रधानाचार्य रमेश लाल ने लाहौल-स्पीति पैटर्न में पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को आठ रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति देने की पुष्टि की है।
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