गरीबी जैसी बड़ी समस्या से निपटने के लिए मोदी सरकार ने एक सर्वे शुरू किया है। सरकार के सर्वे में देखा जायेगा कि किसके पास पोषण, पीने का पानी, हाउसिंग और कुकिंग फ्यूल जैसी सुविधाएं पहुंची हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इस सर्वे के माध्यम से देश में गरीबी के स्तर का पता लगा रही है। बता दें कि, कुछ वर्षों पहले सरकार ने गरीबी रेखा का इस्तेमाल बंद कर दिया था। जानकारों का कहना है कि, सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं बनाने के लिए देश में गरीबी स्तर का पता होना जरुरी है। इसी कारण सरकार ने यह कदम उठाया है।
सी रंगराजन समिति की रिपोर्ट
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, 2014 में सी रंगराजन समिति ने देश में गरीबों की संख्या 10 करोड़ की बढ़त का अनुमान दिया था। सी रंगराजन समिति ये रिपोर्ट कन्जम्पशन एक्सपेंडिचर के आधार पर बनाई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में गरीबों की संख्या 36.3 करोड़, यानी कुल आबादी की 29.6 पर्सेंट है। यह आंकड़ा सुरेश तेंदुलकर समिति की पिछली रिपोर्ट में 26.98 करोड़ (21.9 पर्सेंट) पर था। हालांकि, एनडीए सरकार ने 2014 की रिपोर्ट को खारिज किया था।
मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऐंड प्रोग्राम इम्प्लिमेंटेशन करेगी फील्ड वर्क
रिपोर्ट्स के अनुसार, मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऐंड प्रोग्राम इम्प्लिमेंटेशन फील्ड वर्क करेगी। साथ ही निति आयोग को देश और राज्यों के प्रदर्शन पर नजर रखने का आदेश दिया गया है। सर्वे के नतीजे UNDP के मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (MPI) में शामिल किए जाएंगे। इस सूचकांक में देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा और रहन-सहन के स्तर के आधार पर रैंक दिया जाता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हालही में नीति आयोग और मंत्रालय के अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में गरीबी का आकलन करने के लिए कार्यप्रणाली तय की गई थी। सर्वे के परिणाम के मुताबिक, नीति आयोग एक गरीबी सूचकांक तैयार करेगा। इससे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रैंक किया जाएगा। इसका उद्देश्य राज्यों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को गरीबी से बाहर लाना है। इस तरह देश की UN पावर्टी इंडेक्स में रैंकिंग सुधरेगी।
ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुसार, मल्टीडायमेंशनल पावर्टी की परिभाषा में कम आमदनी, खराब स्वास्थ्य, हिंसा का खतरा और कामकाज की बुरी स्थिति जैसे इंडिकेटर्स शामिल हैं। UNDP का MPI स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर, पोषण), शिक्षा (स्कूली पढ़ाई के कुल वर्ष, नामांकन) और रहन-सहन का तरीका (पानी, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने का ईंधन, जमीन, संपत्ति) जैसी सुविधाओं की स्थिति का आकलन करता है। एक अन्य अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘हमने स्वच्छता और पेयजल जैसे इंडिकेटर के डेटा एकत्र नहीं किए हैं। हालांकि, इन सुविधाओं को पाने वाले परिवारों की संख्या पता लगानी है। हमें अपना डेटा बेहतर बनाने की जरूरत है।’
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