यदि आप भी होर्मोनल इम्बैलेंस के लक्षण से परेशान, तो इन चीजों का करें सेवन
हार्मोन्स के संतुलन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी का असर फौरन हमारी भूख, नींद और तनाव के स्तर पर दिखने लगता है। असंतुलन से शरीर में या तो हार्मोन ज्यादा बनता है या फिर बहुत कम। इसे समय रहते ठीक करना जरूरी है। बता दें कि हमारे शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन होता है, जो हमें किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है।
इसी हार्मोन की वजह से दिल की धड़कन, रक्तचाप और रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों के मुताबिक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कार्टिसोल के बढ़ते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित होते हैं, जिससे निर्णय लेने और तार्किक क्षमता पर असर पड़ता है।
अब तक यही समझा जाता रहा है कि हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से मूड में उतार-चढ़ाव, सूजन, मेनोपॉज, नपुंसकता, छोटा कद, दुबलापन, मेटाबॉलिज्म में असंतुलन और मुंहासे आदि समस्याएं होती हैं, लेकिन वास्तव में हार्मोन्स सभी शारीरिक एवं मानसिक गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं।
हार्मोन्स- आपको बता दें कि हार्मोन्स एंडोक्राइन ग्रंथि से बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जो खून के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच कर उन्हें अलग-अलग कार्यों के लिए एक संदेशवाहक के रूप में निर्देश देते हैं। वही हार्मोन्स की छोटी सी मात्रा के घटने-बढ़ने पर भी शरीर की कोशिकाओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है, और मानव शरीर में कुल 230 हार्मोन्स होते हैं। कई हार्मोन, दूसरे हार्मोन्स के निर्माण और स्राव को भी काबू रखते हैं।
उम्र, तनाव की अधिकता, अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा वजन या कुछखास दवाओं के कारण हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी हो सकती है। हार्मोन्स का महिलाओं पर असर- बता दें कि महिलाओं की शारीरिक संरचना जटिल होती है। एक शोध के मुताबिक कि करीब 50 फीसदी महिलाओं में हार्मोन्स के असंतुलन का असर उनके जीवन पर पड़ता है।
वही माहवारी की शुरुआत, गर्भावस्था व मेनोपॉज की स्थिति में हार्मोन के असंतुलन से कई समस्याएं हो सकती हैं। पुरुषों पर असर- पुरुषों में हार्मोन्स के असंतुलन से तनाव, चिड़चिड़ापन, यौन इच्छा में कमी, नपुंसकता, दाढ़ी या मूंछ के बालों का कम या ज्यादा उगना, सुस्ती आदि समस्याएं देखी जाती हैं। बच्चों पर असर- वही बच्चों का अकारण मोटापा, शरीर का असंतुलित विकास होना। हार्मोन्स की कमी से किशोरियों में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम देखने को मिलता है। किशोरों में टेस्टिकल्स का विकास पूरी तरह नहीं हो पाता है। असंतुलन के लक्षण
अकारण वजन बढ़ना व कमर पर चर्बी बढ़ना। – हर समय थकान महसूस करना। – नींद का कम आना या बिलकुल ही नींद न आना। – गैस, कब्ज और बदहजमी होना। – तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन का बढ़ना। – बहुत पसीना आना, सेक्स की इच्छा में कमी। – बालों का झड़ना व असमय सफेद होना तथा दाढ़ी घनी ना आना इत्यादि। – ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा ठंडी या गर्मी लगना। आइए जानते है हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं- बता दें कि चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि के अधिक सेवन से महिलाओं की एड्रेनल ग्रंथि ज्यादा सक्रिय हो जाती है, जिससे हार्मोन्स का स्राव होने लगता है।
जंक फूड व कुछ अन्य खाद्य पदार्थ, जिनमें कैलरी की मात्रा अधिक होने से परहेज करना चाहिए। वही पोषक आहार लें ताकि शरीर को विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन आदि मिलते रहें। – आहार में ताजे फल व सब्जियों जैसे गाजर, ब्रोकोली और पत्तागोभी आदि। – ग्रीन टी में थियानाइन प्राकृतिक तत्व पाया जाता है, जो हार्मोन्स को संतुलित रखता है। – ओट्स और दही को आहार में शामिल करें। – शरीर में पानी की कमी न होने दें।
सूरजमुखी के बीज, अंडे, सूखे मेवे और चिकन में ओमेगा 3 व 6 पाया जाता है, जो हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखते हैं। – और नारियल पानी पिएं। थाइरॉएड हार्मोन्स-थाइरॉएड ग्रंथि मुख्य रूप से दो हार्मोन्स, ट्रीडो थाइरोनाइन और थाइरॉक्साइन स्रावित करती है, जिनका कार्य शरीर के मेटाबॉलिज्म स्तर को संतुलित बनाए रखने के साथ वजन, स्फूर्ति और अंदरूनी तापमान को नियंत्रित रखना है। वही त्वचा और बालों की सेहत पर भी इसका इफेक्ट पड़ता है। इन्सुलिन – यह हार्मोन पैंक्रियाज द्वारा स्रावित होता है। इसका कार्य शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स को ऊर्जा में बदलना होता है और खून में शर्करा के स्तर को यही हार्मोन काबू रखता है।
एस्ट्रोजन– बता दें कि महिलाओं में यह हार्मोन अंडाशय में बनता है, और जो मासिक धर्म और मेनोपॉज को निर्धारित, नियंत्रित और संतुलित रखता है। इस हार्मोन की मात्रा ज्यादा हो जाने पर स्तन कैंसर, डिप्रेशन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके कम मात्रा में बनने पर महिलाओं को मुंहासों, त्वचा रोगों और बाल झड़ने और उनके पतले होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
प्रोजेस्टेरोन– वही महिलाओं में पाया जाने वाला यह हार्मोन गर्भधारण में मदद करता है। मासिक चक्र को नियमित रखता है। जब कोई महिला गर्भवती नहीं होती है, तो प्रोजेस्टेरोन का स्तर नीचे चला जाता है और मासिक चक्र शुरू हो जाता है। प्रोलेक्टिन– पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित होने वाला यह हार्मोन बच्चे के जन्म के बाद मां को उसे स्तनपान कराने में सक्षम बनाने में मदद करता है, इसके साथ ही स्त्री की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। टेस्टोस्टेरोन– पुरुषों में पाया जाने वाला यह हार्मोन मांसपेशियों को विकसित करने और प्रजनन ऊतकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
तथा इसकी कमी का सीधा असर पुरुषों की घटती प्रजनन क्षमता और हड्डियों की कमजोरी के रूप में सामने आता है। सेरोटोनिन– वही मूड को प्रभावित करने वाला यह हार्मोन याददाश्त, अच्छी नींद और बढ़िया पाचन-तंत्र सुनिश्चित करता है। यदि मस्तिष्क पर्याप्त मात्रा में इस हार्मोन का निर्माण नहीं करता तो तनाव, माइग्रेन, वजन बढ़ना और नींद न आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
एड्रेनलिन– एड्रेनल “अधिवृक्क” ग्रंथि में बनने वाला यह हार्मोन मूड और भावनाओं को तेजी से प्रभावित करता है तथा तनाव तुरंत दूर करता है। यह हार्मोन मेटाबॉलिक स्तर को तेज करता है तथा दिमाग तक खुशी के भाव का संकेत पहुंचाता है। ग्रोथ हार्मोन– आपको बता दें कि सोमाट्रोपिन हार्मोन के नाम से जाना जाने वाला यह हार्मोन एक प्रोटीन हार्मोन है, जिसमें करीब 190 अमीनो एसिड होते हैं।
यह हार्मोन विकास और मेटाबॉलिज्म की दर निर्धारित करता है। ये भी पढ़ें: खाली पेट भूल से ना करे इन चीजों का सेवन, हो सकती है ये गंभीर बीमारी ये भी पढ़ें: हर मर्ज का इलाज है हल्दी, इन बड़ी बीमारियों का मिनटों में करेगा सफाया ये भी
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